नागपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को कहा कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की ओर से की गई कार्रवाई के दौरान देश की राजनीतिक बिरादरी ने जो आपसी समझ दिखाई, वह बनी रहनी चाहिए और इसे स्थायी रूप ले लेना चाहिए। यह बात उन्होंने नागपुर में स्वयंसेवकों के प्रशिक्षण कार्यक्रम ‘कार्यकर्ता विकास वर्ग’ के समापन के अवसर पर कही।
भागवत ने कहा, इस नृशंस आतंकी हमले के बाद लोग दुखी और क्रोधित थे। वे चाहते थे कि दोषियों को सजा मिले। कार्रवाई की गई और सजा भी दी गई। हमारी सेना ने एक बार फिर पराक्रम दिखाया। प्रशासन की दृढ़ता भी देखने को मिली। समाज ने भी एकता का संदेश दिया। राजनीतिक दलों ने भी आपसी समझदारी दिखाई, जो आगे भी बनी रहनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि भारत को अपने सुरक्षा के मामलों में आत्मनिर्भर बनना होगा। पाकिस्तान का नाम लिए बिना उन्होंने कहा, जो देश भारत से सीधे युद्ध में नहीं जीत सकते, वे ‘हजार जख्मों की नीति’ के तहत परोक्ष युद्ध छेड़कर भारत को कमजोर करने की कोशिश करते हैं।
समारोह में छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ आदिवासी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम मुख्य अतिथि मौजूद थे। उन्होंने कहा कि अब तक किसी भी राज्य सरकार ने धर्मांतरण के मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया है। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि आरएसएस ही एकमात्र संस्था है जो इस दिशा में मदद कर सकती है।
उन्होंने यह भी कहा कि नक्सलवाद खत्म होने के बाद केंद्र सरकार को एक ठोस कार्य योजना बनानी चाहिए, ताकि यह फिर से सिर न उठा सके। नेताम ने यह आरोप भी लगाया कि 1996 का पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम (पेसा) आज तक किसी भी सरकार ने सही ढंग से लागू नहीं किया है। उन्होंने कहा, केंद्र सरकार इस मुद्दे पर चुप है और उल्टा उद्योगपतियों की मदद कर रही है। पेसा अधिनियम का मकसद अनुसूचित जनजातीय इलाकों में ग्राम सभाओं को अधिकार देना है, ताकि वे अपने संसाधनों का प्रबंधन कर सकें और समुदाय से जुड़े फैसले खुद ले सकें।
आरएसएस प्रमुख भागवत बोले-राजनीतिक दलों के बीच बनी रहनी चाहिए आपसी समझ, सुरक्षा के मामले में बनना होगा आत्मनिर्भर
