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आव्रजन और विदेशी विधेयक 2025 को राष्ट्रपति ने दी मंजूरी; सरकार ने जारी की अधिसूचना

आव्रजन और विदेशी विधेयक 2025 को राष्ट्रपति ने दी मंजूरी; सरकार ने जारी की अधिसूचना

नई दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आव्रजन और विदेशी विधेयक, 2025 को मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही यह कानून बना गया है। अब भारत में प्रवेश करने, रहने या देश से बाहर जाने के लिए जाली पासपोर्ट या वीजा का उपयोग या उसे देने पर दो से सात वर्ष तक की कैद और एक लाख से 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लग सकता है। विधेयक को राष्ट्रपति की स्वीकृति मिलने के तुरंत बाद राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से इसे अधिसूचित भी कर दिया गया। इस विधेयक को लोकसभा ने 7 मार्च को और राज्यसभा ने दो अप्रैल को पारित किया था। नए कानून में होटलों, विश्वविद्यालयों, अन्य शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों और नर्सिंग होम की ओर से विदेशियों के बारे में सूचना देना अनिवार्य करने का भी प्रावधान है, ताकि निर्धारित अवधि से अधिक समय तक ठहरने वाले विदेशियों पर नजर रखी जा सके। अब पहले से मौजूद पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम, 1920, विदेशियों का पंजीकरण अधिनियम, 1939, विदेशी अधिनियम, 1946, और आव्रजन (वाहक दायित्व) अधिनियम, 2000 निरस्त हो गए हैं।
विधेयक में प्रमुख प्रावधान यह है कि अगर कोई व्यक्ति भारत में प्रवेश करने, देश में रहने या देश से बाहर जाने के लिए जाली पासपोर्ट या वीजा का उपयोग करता पाया गया, तो उसे 7 वर्ष तक की जेल और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
भारत में प्रवेश करने या रहने या बाहर जाने के लिए जानबूझकर जाली या गलत तरीके से हासिल पासपोर्ट का उपयोग या आपूर्ति करने पर कम से कम दो वर्ष के कारावास का प्रावधान है। इसे सात वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है। दोषी पाए जाने पर कम से कम एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया जाएगा, जिसे 10 लाख रुपये तक बढ़ाया जा सकता है।
कोई विदेशी नागरिक अगर वैध पासपोर्ट या वीजा सहित अन्य यात्रा दस्तावेज के बिना भारत में प्रवेश करता है, तो उसे 5 वर्ष तक के कारावास या 5 लाख रुपये तक के जुर्माने या दोनों से दंडित किया जा सकता है।
नया विधेयक केंद्र सरकार को उन स्थानों पर नियंत्रण करने का अधिकार देता है, जहां विदेशियों का अक्सर आना-जाना लगा रहता है। इसके तहत मालिक को परिसर को बंद करने, निर्दिष्ट शर्तों के तहत इसके उपयोग की अनुमति देने या सभी या निर्दिष्ट वर्ग के विदेशियों को प्रवेश देने से मना करने का अधिकार दिया गया है।
विदेशियों और आव्रजन से संबंधित मामलों के वर्तमान में चार कानून हैं। पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम, 1920, विदेशियों का पंजीकरण अधिनियम, 1939, विदेशी अधिनियम, 1946, और आव्रजन (वाहक दायित्व) अधिनियम, 2000। नया विधेयक इन कानूनों को निरस्त करता है।

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