नई दिल्ली। ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की अगली बैठक 30 जुलाई को होने की संभावना है। समिति के अध्यक्ष पीपी चौधरी ने कहा कि अगली बैठक में जस्टिस राजेंद्र मल लोढ़ा और जस्टिस शरद अरविंद बोबडे को अपने विचार व्यक्त करने के लिए बुलाया जा सकता है।
भाजपा सांसद पीपी चौधरी की अध्यक्षता वाली समिति इस विधेयक पर अपनी सिफारिशें तैयार करने के लिए न्यायविदों और कानूनी विशेषज्ञों से बातचीत कर रही है। शुक्रवार को इसकी आठवीं बैठक के दौरान भारत के पूर्व चीफ जस्टिस जेएस खेहर और डीवाई चंद्रचूड़ ने समिति के साथ बातचीत की।
उन्होंने कहा, ”समिति इस मुद्दे पर बहुत गंभीरता से चर्चा कर रही है और भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीशों सहित विभिन्न कानूनी विशेषज्ञों ने अपने विचार दिए हैं ताकि हमें यह समझने में मदद मिल सके कि क्या यह विचार संवैधानिक ढांचे में फिट बैठता है।” चौधरी ने कहा कि समिति की अगली बैठक संभवत: 30 जुलाई को होगी। यह पूछे जाने पर कि समिति अपनी रिपोर्ट कब पेश करेगी, उन्होंने कहा कि इसमें कोई जल्दबाजी नहीं है क्योंकि सभी हितधारकों की राय सुनी जाएगी।
उन्होंने कहा, ”पूरे देश को यह महसूस होना चाहिए कि संयुक्त संसदीय समिति ने सभी की बात सुनी है और सभी के विचार जाने हैं। अगर सदस्यों को लगता है कि रिपोर्ट पेश करने से पहले और लोगों की बात सुनने की जरूरत है, तो हम संसद से और समय मांग सकते हैं।” उन्होंने कहा कि चार पूर्व मुख्य न्यायाधीशों ने समिति के साथ बातचीत की है और सभी शंकाओं का समाधान किया है।
उन्होंने कहा, ”सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीशों के साथ-साथ वरिष्ठ वकीलों ने भी समिति के सदस्यों के साथ बातचीत की। यह बातचीत इस बात पर केंद्रित थी कि क्या एक राष्ट्र, एक चुनाव विधेयक संविधान के अनुरूप है। हमें बहुत खुशी है कि सभी सदस्यों ने पांच घंटे तक विस्तृत चर्चा की, ताकि हम सही कानून बना सकें और जब यह कानून संसद में जाए तो ठोस सिफारिशें कर सकें।”
पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं वरिष्ठ अधिवक्ता ईएमएस नचियप्पन ने संसदीय समिति को बताया है कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के लिए संविधान में संशोधन की आवश्यकता नहीं है और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम में बदलाव कानूनी रूप से इसके कार्यान्वयन के लिए पर्याप्त हो सकता है। पूर्व कांग्रेस सांसद नचियप्पन ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विधेयक की जांच कर रही समिति से यह भी कहा कि सरकार को अपने वर्तमान कार्यकाल में ही इस प्रस्ताव को लागू करने पर विचार करना चाहिए।