टैरिफ लागू हुआ तो प्रभावित क्षेत्रों को वित्तीय मदद मुहैया कराएगा आरबीआई

मुंबई: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अगर बुधवार से भारत पर भारी टैरिफ लागू करते हैं तो प्रभावित सेक्टरों को आरबीआई अतीत की तरह वित्तीय मदद मुहैया कराएगा। भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा, संकट से उबरने के लिए सबसे बुरी तरह प्रभावित क्षेत्रों को वित्तीय मदद की जरूरत होगी।

गवर्नर मल्होत्रा ने मुंबई में फिक्की और इंडियन बैंक एसोसिएशन के कार्यक्रम में कहा, कोविड के दौरान आरबीआई ने सावधि ऋणों पर स्थगन प्रदान किया था। छोटे एवं मझोले (एमएसएमई) क्षेत्रों के लिए कर्ज पाने को आसान बनाया था। मौद्रिक नीति के जरिये अर्थव्यवस्था को मजबूत समर्थन दिया था। हालांकि, टैरिफ पर दोनों देशों में बातचीत चल रही है। हमें उम्मीद है कि इसका न्यूनतम प्रभाव पड़ेगा। 45 फीसदी (निर्यातित) वस्तुएं कर के दायरे से बाहर हैं। 55 फीसदी में रत्न एवं आभूषण, कपड़ा, ऑटो कलपुर्जे, झींगा व एमएसएमई जैसे कुछ क्षेत्रों पर प्रभाव पड़ेगा।

मल्होत्रा ने कहा, सरकार इस पर विचार कर रही है। हमने अर्थव्यवस्था को तरलता देने के लिए रेपो दर में एक फीसदी कटौती की थी। अर्थव्यवस्था की वृद्धि के लिए और अधिक प्रभावित क्षेत्रों सहित हमसे जो भी सहायता अपेक्षित है, तो हम उसे करेंगे। रुपये के अंतरराष्ट्रीय पर उन्होंने कहा, यह एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है जिस पर आरबीआई वर्षों से काम कर रहा है। देश के लिए स्थानीय मुद्रा में व्यापार को विकसित करना महत्वपूर्ण है। यह हमें विदेशी मुद्रा की अस्थिरता से बचाता है।

गवर्नर ने कहा, भारत के वर्तमान में मालदीव, मॉरीशस, इंडोनेशिया और संयुक्त अरब अमीरात सहित चार देशों के साथ रुपये में कारोबार के लिए समझौते हैं। स्थानीय मुद्रा में अच्छा व्यापार हो रहा है। स्थानीय मुद्राओं में व्यापार करने के लिए इसे विकसित होने में वर्षों का समय लगेगा।

 मल्होत्रा ने वित्तीय समावेशन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए बैंकिंग संवाददाताओं (बीसी) के नेटवर्क को और मजबूत करने पर जोर दिया। देश के दो तिहाई लोग ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं। हमें याद रखना होगा कि इनके प्रति हमारी जिम्मेदारी है। हालांकि, हमने 5 किलोमीटर के दायरे में लगभग सभी गांवों तक बैंकिंग पहुंच प्रदान की है। फिर भी इसे और बढ़ाने की गुंजाइश है। उन्हें प्रशिक्षित करने की भी जरूरत है। बीसी की सेवाओं की संख्या बढ़ाने की भी आवश्यकता है। इससे सेवाओं की गुणवत्ता और पहुंच में भी सुधार होगा।

 तकनीक निर्णय लेने और ग्राहक सेवा में सुधार का मुख्य माध्यम बन गई है। विनियमित संस्थाओं को ऋण बढ़ाने और लागत कम करने के प्रयासों में तेजी लाना चाहिए। हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग जैसी तकनीक को अपनाना जारी रखेंगे। उम्मीद करते हैं कि विनियमित संस्थाएं भी इसमें निवेश करेंगी। हम एक ही टीम में हैं। हमारा दृष्टिकोण एक जैसा है। वित्तीय स्थिरता और विकास के बीच कोई टकराव नहीं है। वित्तीय और मूल्य स्थिरता विकास में बाधा नहीं डालती। बल्कि, ये सतत विकास के लिए जरूरी हैं।

कंपनियों और बैंकों की खाताबही मजबूत स्थिति में है। ऐसे में टैरिफ अनिश्चितताओं और देशों में चिंताओं से उत्पन्न चुनौतियों के बीच निवेश को बढ़ावा देने के लिए इनको एक साथ आने की जरूरत है। केंद्रीय बैंक ने विकास के लक्ष्यों को नहीं खोया है। मौद्रिक नीति महंगाई और विकास दोनों को ध्यान में रखेगी। ऋण वृद्धि दर तीन साल के निचले स्तर पर पहुंचने पर मल्होत्रा ने कहा, हम विभिन्न क्षेत्रों में बैंक ऋण बढ़ाने के उपायों पर विचार कर रहे हैं।

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