Site icon UK NEWS MIRROR

पर्युषण पर्व 2024: 08 सितंबर से दिगम्बर जैन समाज मनाएगा पर्युषण महापर्व, जानें कब होगा समापन

पर्युषण पर्व 2024: 08 सितंबर से दिगम्बर जैन समाज मनाएगा पर्युषण महापर्व, जानें कब होगा समापन

पर्युषण पर्व 2024: दिगंबर जैन समाज का महापर्व ‘पर्यूषण’ इस साल 08 सितंबर 2024, दिन रविवार से शुरू हो रहा है और इस 10वें पर्युषण पर्व का समापन 17 सितंबर, दिन रविवार को अनंत चतुर्दशी के साथ होगा।

जैन धर्म के अनुसार यह पर्व नक्षत्रों को आत्मशुद्धि की प्रेरणा देता है। यह, तप और आत्मा को शुद्ध और पवित्र बनाने के लिए आवश्यक धार्मिक साधकों पर ध्यान केंद्रित करने की प्रेरणा देता है। इन 10 दिनों में तृष्णा, कलह, लालच, लालच और लोभ-लालच से दूर हो गए धर्माराधना की जाएगी।

बता दें कि ‘पर्यूषण’ जैन धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जिसमें श्वेतांबर और दिगंबर समुदाय के लोग भाद्रपद के महीने में तप-साधना और आराधना करते हैं। तथा श्वेतांबर समाज के धर्मावलंबी 8 दिन तक पर्युषण पर्व मनाते हैं और अंतिम दिन संवत्स महापर्व को ‘मिच्छामि दुक्कम’ कहते हैं जो क्षमापर्व के रूप में मनाया जाता है।

वहीं, दिगंबर समाजजन वर्ष 2024 में 08 सितंबर से 17 सितंबर तक दस लक्षण पर्व यानी पर्यूषण महापर्व मनाएगा, जिस दिन अनंत चतुर्दशी का समापन होगा, क्षमायाचना के विशेष पर्व क्षमावाणी पर ‘उत्तम क्षमा’ कहा जाएगा।

जैन संस्कृति के महापर्व पर्यूषण की शुरुआत पूर्व ही जैन मंदिरों में रंगबिरंगी बिजली रोशनी से विशेष सजावट की जाएगी और कई धार्मिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे। जैन धर्म के अनुसार यह पर्व साधक को उत्तम गुण नशा की प्रेरणा देता है।

आजकल पेंटिंग में विशेष पूजा-सार्वभौम, तप और ध्यान आदि किया जाता है। तथा जैन धर्म के धार्मिक व्रत, तप, साधना करके आत्मशुद्धि का प्रयास करते हैं और पूरे वर्ष भर में जाने-अनजाने में गए पापों के लिए भगवान से क्षमा याचना करते हैं। पर्यूषण के दौरान हर दिन शाम को फिल्म के लिए प्रतिक्रमण भी किया जाता है।

परशु का अर्थ है आत्मा की शुद्धि का पर्व अर्थात अपने मन से राग, द्वेष, कषाय, व्यवहार, क्रोध, लोभ, लालच आदि आवेश धर्म में झुकना और अपनी आत्मा के कल्याण के लिए सभी साथियों की भावनाओं को क्षमा करना और अन्य कहा गया बुरी-भली बातों को भूलकर उन्हें माफ कर देना और स्वयं भी क्षमा मांगना, उनके द्वारा बताए गए थेस के परिणामस्वरूप उन्हें क्षमा करना, अपने मन को शांति प्रदान करना और ईश्वर के अज्ञात मार्ग पर स्वर्ग प्राप्ति की कामना करना ही पर्व का उद्देश्य है।

अस्वीकरण (अस्वीकरण) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी वैज्ञानिक सिद्धांत, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, अभिलेख एवं समाचार केवल आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न तथ्यों से उपलब्ध हैं। संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। स्वास्थ्य या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। इस सामग्री को जनरुचि को ध्यान में रखते हुए यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।

Exit mobile version