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भारत का दोहरा शक्ति प्रदर्शन, पृथ्वी-2 और अग्नि-1 बैलिस्टिक मिसाइलों का किया सफल परीक्षण

नई दिल्ली: भारत ने गुरुवार को दो स्वदेशी कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों पृथ्वी-2 और अग्नि-1 का सफल परीक्षण किया। दोनों मिसाइलों को ओडिशा तट के पास स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) से लॉन्च किया गया। रक्षा सूत्रों ने यह जानकारी दी। रक्षा सूत्रों ने बताया कि इन प्रक्षेपणों ने सभी परिचालन और तकनीकी मानकों को पूरा किया। ये परीक्षण सामरिक बल कमान की निगरानी में किए गए। जानकारी के अनुसार, अग्नि-1 मिसाइल का परीक्षण पहले अब्दुल कलाम द्वीप से किया गया, जबकि कुछ समय बाद पृथ्वी-2 मिसाइल को चांदीपुर स्थित आईटीआर के लॉन्च पैड नंबर-3 से दागा गया।
अग्नि-1 मिसाइल की मारक क्षमता 700 किलोमीटर तक की है। इस मिसाइल का भार 12 टन है और यह 1,000 किलो के परमाणु हथियार को अपने साथ ले जा सकती है। अग्नि 1 मिसाइल को उन्नत सिस्टम प्रयोगशाला ने रक्षा अनुसंधान विकास प्रयोगशाला और रिसर्च सेंटर इमरात के साथ मिलकर विकसित किया है। मिसाइल को हैदराबाद स्थित भारत डायनेमिक्स लिमिटेड ने पूरा किया है। इस मिसाइल को सबसे पहले साल 2004 में सेवा में लिया गया था। जमीन से जमीन पर वार करने वाली इस मिसाइल को सॉलिड प्रॉपलैंट्स द्वारा बनाया गया है।
पृथ्वी-2 बैलिस्टिक मिसाइल को स्वदेशी तरीके से विकसित किया है। पृथ्वी-2 मिसाइल की मारक क्षमता 350 किलोमीटर है। पृथ्वी-2 500 से 1,000 किलोग्राम भार तक के हथियारों को लेकर जाने में सक्षम है। सतह से सतह पर साढ़े तीन सौ किलोमीटर मार करने वाली मिसाइल है। इसमें लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम का उपयोग किया गया है। मिसाइल में एडवांस गाइडेंस सिस्टम लगा है जो अपने लक्ष्य को आसानी से मार गिरा सकता है। पृथ्वी मिसाइल 2003 से सेना में है, जो नौ मीटर लंबी है। पृथ्वी डीआरडीओ द्वारा निर्मित पहली मिसाइल है।
24 घंटे में यह दूसरा महत्वपूर्ण सफल परीक्षण है। इससे पहले बुधवार को भारत ने अपने एयर डिफेंस सिस्टम को बेहतर करने के मिशन में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की थी। बुधवार को भारतीय सेना ने लद्दाख सेक्टर में करीब 15 हजार फीट की ऊंचाई पर ‘आकाश प्राइम’ एयर डिफेंस सिस्टम का सफल परीक्षण किया था। यह एयर डिफेंस सिस्टम भारत ने स्वदेशी रूप से विकसित किया है। ‘आकाश प्राइम’ एयर डिफेंस सिस्टम का सफल परीक्षण थल सेना की एयर डिफेंस विंग के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में हुआ। इस दौरान रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे। डीआरडीओ ने ही यह एयर डिफेंस सिस्टम विकसित किया है। रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक, एयर डिफेंस सिस्टम का परीक्षण करते समय सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों ने तेज गति से उड़ रहे दो लक्ष्यों पर सटीक वार किए। यह परीक्षण अत्यधिक ऊंचाई और विरल वायुमंडल वाले क्षेत्र में किया गया, जहां सामान्य संचालन भी कठिन होता है। आकाश प्राइम सिस्टम को भारतीय सेना की तीसरी और चौथी ‘आकाश रेजिमेंट’ में शामिल किया जाएगा। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान भारत की एयर डिफेंस प्रणाली ने पाकिस्तानी सेना के चीनी लड़ाकू विमानों और तुर्की ड्रोन से किए गए हवाई हमलों को नाकाम करने में अहम भूमिका निभाई थी।

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