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भारत ने पाकिस्तानी जल मंत्री को लिखा पत्र, 1960 की जल संधि पर तत्काल रोक की दी सूचना

भारत ने पाकिस्तानी जल मंत्री को लिखा पत्र, 1960 की जल संधि पर तत्काल रोक की दी सूचना

नई दिल्ली: पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में तनाव बढ़ गया है। रिश्तों में तल्खी का एक उदाहरण 1960 की सिंधु जल संधि पर तत्काल रोक लगाने का फैसला है। 65 साल पहले की इस संधि पर रोक के बाद पाकिस्तान में जल संकट पैदा हो सकता है। ताजा घटनाक्रम में जल शक्ति मंत्री के सचिव देबाश्री मुखर्जी ने पाकिस्तानी जल संसाधन मंत्रालय के सचिव को पत्र लिखा है। भारत ने पाकिस्तान को लिखे पत्र में 1960 की जल संधि पर तत्काल रोक लगाने का फैसला लिया है।
सिंधु जल समझौता, 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हस्ताक्षरित एक जल-बंटवारा समझौता है। इसमें विश्व बैंक ने मध्यस्थता की थी। इस समझौते का उद्देश्य सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के पानी के उपयोग को लेकर दोनों देशों के बीच विवादों को रोकना था। इस संधि के तहत, हिमालय के सिंधु नदी बेसिन की छह नदियों को दो भागों में बांटा गया है। पूर्वी नदियों ब्यास, रावी और सतलुज का पानी भारत को मिलता है जबकि पश्चिमी नदियों सिंधु, झेलम और चिनाब का कंट्रोल पाकिस्तान के पास आया।
भारत सरकार ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि को स्थगित करने का जो फैसला किया है वह पाकिस्तान की आर्थिक कमर तोड़ सकता है। दरअसल समझौता स्थगित होने का यह अर्थ नहीं है कि पाकिस्तान को तत्काल सिंधु नदी का पानी नहीं मिलेगा बल्कि इसके तहत भारत पर से अब यह बाध्यता खत्म हो जाएगी कि वह पाकिस्तान को सिंधु के पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करे। भारत भविष्य में सिंधु नदी पर बांध बनाकर पानी रोकने के लिए स्वतंत्र होगा। ऐसा हुआ तो पाकिस्तान के लिए सही मायनों में संकट पैदा होगा।
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है। इसमें भी वह सिंधु नदी बेसिन के पानी पर बहुत अधिक निर्भर है। भारत और पाकिस्तान के बीच जल समझौते के तहत पाकिस्तान को सिंधु नदी और उसकी पश्चिमी सहायक नदियों (झेलम और चिनाब) का पानी आवंटित किया गया है। भारत यदि इन नदियों के प्रवाह को मोड़ देता है तो पाकिस्तान का बड़ा हिस्सा सूखे की चपेट में आ जाएगा। सिंचाई में कमी से गेहूं, चावल, गन्ना और कपास जैसी प्रमुख फसलों की पैदावार पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा। यह पाकिस्तान की खाद्य सुरक्षा और निर्यात के लिए महत्वपूर्ण हैं।
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम शहर के निकट ‘मिनी स्विटरलैंड’ नाम से मशहूर पर्यटन स्थल पर मंगलवार दोपहर हुए आतंकवादी हमले में 26 लोगों की मौत हो गई, जिनमें ज्यादातर पर्यटक हैं। यह 2019 में पुलवामा में हुए हमले के बाद घाटी में हुआ सबसे घातक हमला है। एक उच्च पदस्थ अधिकारी ने बताया कि 26 मृतकों में दो विदेशी और दो स्थानीय निवासी हैं। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस आतंकी हमले को ‘हाल के वर्षों में आम लोगों पर हुए किसी भी हमले से कहीं बड़ा’ हमला बताया। अधिकारियों ने बताया कि यह हमला ऐसे समय हुआ है जब अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भारत की यात्रा पर हैं। इसी समय जम्मू-कश्मीर में पर्यटन और ट्रैकिंग का मौसम जोर पकड़ रहा है।
2019 की फरवरी में जम्मू-कश्मीर के ही पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद घाटी में सबसे घातक हमला पहलगाम में हुआ है। पहलगाम शहर से लगभग छह किलोमीटर दूर बैसरन चीड़ के पेड़ों के घने जंगलों और पहाड़ों से घिरा एक विशाल घास का मैदान है तथा देश व दुनिया के पर्यटकों के बीच पसंदीदा स्थान है।
पहलगाम हमले के संबंध में अधिकारियों और प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि हथियारबंद आतंकवादी ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ में घुस आए और भोजनालयों के आसपास घूम रहे, खच्चर की सवारी कर रहे, पिकनिक मना रहे पर्यटकों पर गोलीबारी शुरू कर दी। पाकिस्तान में स्थित प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के छद्म संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) ने हमले की जिम्मेदारी ली है।

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