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भावी खतरों की प्रकृति को लेकर बढ़ रही अनिश्चितता’, सीडीएस जनरल अनिल चौहान की पुस्तक का रक्षा मंत्री ने किया विमोचन

भावी खतरों की प्रकृति को लेकर बढ़ रही अनिश्चितता’, सीडीएस जनरल अनिल चौहान की पुस्तक का रक्षा मंत्री ने किया विमोचन

नई दिल्ली। हम 21वीं सदी के तूफानी भूराजीनति में आगे बढ़ रहे हैं और भविष्य में खतरों की प्रकृति, प्रकार और समय को लेकर अस्थिरता बढ़ रही है। यह बात चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने अपनी नई किताब में कही है। किताब का नाम ‘रेडी, रेलेवेंट एंड रिसर्जेंट: अ ब्लूप्रिंट फॉर द ट्रांसफोर्मेशन ऑफ इंडियाज मिलिट्री’ है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को इसका विमोचन किया।
यह एक दुर्लभ घटना है कि एक चार सितारा जनरल ने अपनी सेवा के दौरान ही एक किताब लिखी है। यह किताब भारतीय सशस्त्र बलों में आ रहे बदलावों पर गहरी समझ देती है, जो संयुक्तता, एकीकरण और आत्मनिर्भरता पर आधारित है, ताकि 21वीं सदी की युद्ध की चुनौतियों का सामना किया जा सके और राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
एकीकृत रक्षा कर्मचारियों के मुख्यालय ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, यह किताब भारत की रक्षा व्यवस्था में नए दौर की शुरुआत दिखाती है। इममें कई प्रभावशाली लेख हैं, जो यह किताब 2047 तक सशक्त, सुरक्षित, समृद्ध और विकसित भारत बनाने के लिए तैयार की जाने वाली भविष्य की सेना बनाने के लिए एक स्पष्ट दृष्टिकोण प्रदान करती है।
किताब में सीडीएस ने लिखा, भारत 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने की आकांक्षा रखता है। एक आर्थिक रूप से मजबूत और राजनीतिक रूप से स्थिर भारत की नींव एक मजबूत सेना पर टिकी होनी चाहिए। देश की ताकत के चार मुख्य उपकरणों (कूटनीतिक, अंतरराष्ट्रीय, सैन्य और आर्थिक) को एक साथ मिलकर काम करना होगा, ताकि भारत अपनी मंजिल हासिल कर सके।
जनरल चौहान ने अपनी किताब में याद किया कि मार्च 2023 के अंतिम दिनों में हुए संयुक्त कमांडर सम्मेलन का विषय ‘रेडी, रेलेवेंट एंड रिसर्जेंट’चुना गया था। उन्होंने कहा, इस किताब के विभिन्न अध्याय लिखते हुए मुझे एहसास हुआ कि ये तीन शब्द हमारे सशस्त्र बलों के भविष्य का प्रतिनिधित्व करते हैं। जनरल चौहान ने अपनी किताब में कहा कि सशस्त्र बल हमेशा देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के खतरे का सामना करने वाले पहले लोग रहे हैं और उन्होंने हमेशा अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई है। उन्होंने आगे कहा, लेकिन जैसे-जैसे हम 21वीं सदी के कठिन भूराजनीतिक माहौल में आगे बढ़ रहे हैं, भविष्य में खतरों की प्रकृति, प्रकार और समय को लेकर अनिश्चितता बढ़ रही है। इस संदर्भ में सुरक्षा की धारणा को समझना जरूरी है, जो अब कई क्षेत्रों तक फैल गई है।
सीडीएस ने बताया कि 2014 में दिल्ली में पहली संयुक्त कमांडर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की तीनों सेनाओं के वरिष्ठ अधिकारियों को अपनी सुरक्षा की योजना बताई थी। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री की सबसे खास बात थी कि तीनों सेनाओं को एक आधुनिक ताकत बनाना, जो पुराने और नए दोनों क्षेत्रों में भारत के हितों की रक्षा कर सके। इसके लिए तीनों सेनाओं के बीच हर स्तर पर मजबूत तालमेल और एकजुटता जरूरी थी।

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