Site icon UK NEWS MIRROR

महाकुंभ में रविवार को संगम तट पर उमड़ा आस्था का जनसागर, डेढ़ करोड़ श्रद्धालुओं ने लगाई डुबकी

महाकुंभ में रविवार को संगम तट पर उमड़ा आस्था का जनसागर, डेढ़ करोड़ श्रद्धालुओं ने लगाई डुबकी

प्रयागराज: महाकुंभ में रविवार को बिना किसी विशेष तिथि-मुहूर्त के ही संगम पर आस्था का जन ज्वार उमड़ पड़ा। भोर में ही संगम जाने वाले रास्ते फुल हो गए। सड़कों परह सिर्फ गठरी, झोला लिए श्रद्धालुओं का तांता ही चलता रहा। भीड़ सड़कों पर इस कदर हिलोरें मारती रही, कि पैदल संगम से शहर तक मौनी अमावस्या सरीखा दृश्य नजर आने लगा। संगम में अमृत स्नान के लिए आस्था का जन प्रवाह इसी तरह उफनाता रहा। देर शाम तक 1.50 करोड़ श्रद्धालुओं के डुबकी लगाने का मेला प्रशासन ने दावा किया।
आंकड़े के मुताबिक अब तक 53 करोड़ श्रद्धालु संगम स्नान कर चुके हैं। रविवार को भी संगम पर तिल रखने की जगह नहीं बची। भीड़ का दबाव बढ़ा तो प्रशासन की ओर से एक बार फिर संगम जाने वाले सभी रास्तों पर बैरिकेडिंग करनी पड़ी। सुबह 10 बजे भीड़ बढ़ने पर केंद्रीय अस्पताल जाने वाले रास्ते पर भी पुलिस ने बैरिकेडिंग कर दी। पखवारे भर से लगा आस्था का तांता आधी रात के बाद और तेज होने से संगम जाने वाली सड़कों पर हर तरफ जन ज्वार देख पांटून पुलों के साथ ही शहर के बाहर की सीमा पर भी वाहनों को रोका जाने लगा।
संगम जाने वाले सभी रास्ते श्रद्धालुओं की भीड़ से खचाखच भर गए। अमृतमयी त्रिवेणी में पुण्य की डुबकी के लिए एक लय में रात तक भक्ति की लहरें हिचकोले खाती रहीं। संगम पर भक्ति की लहरों के एक बार फिर उठने के बाद मेला प्रशासन की ओर से घाटों पर भीड़ न लगाने की लगातार अपील की जा रही है। संगम के घाटों पर हर तरफ स्नानार्थी ही नजर आ रहे थे। कोई दंड-कमंडल लेकर तो कोई सिर पर गठरी और कंधे पर झोला-बोरा लिए संगम की ओर बढ़ रहा है।
रास्ते भर जय गंगा मैया, हर-हर महादेव और जय श्रीराम के गगनभेदी जयघोष लगाते लाखों श्रद्धालु देर रात तक संगम पहुंच चुके हैं। उधर,बढ़ती भीड़ के बीच संगम जाने वाले मार्गों पर शहर के लोगों ने भी श्रद्धालुओं की मदद और सेवा में कोई कसर नहीं छोड़ी। लंबी दूरी तय करने से थककर सड़कों की पटरियों पर बैठे आस्थावानों को राहत पहुंचाने के लिए लोगों ने सिर्फ घरों के दरवाजे ही नहीं खोले, बल्कि रजाई-बिछावन भी लगवाना शुरू कर दिया। आस्था – भक्ति की लहरों के बीच संगम से शहर तक कहीं तिल रखने की जगह नहीं बची। सड़कें पैक हुईं तो संगम की राह पकड़ने के लिए लोगों ने गलियों का रुख कर लिया। रेलवे स्टेशनों, बस अड्डों से सिर पर गठरी, हाथों में झोला लिए श्रद्धालुओं का रेला चलता रहा। निजी वाहनों की कतारें हर तरफ लगी रहीं।

Exit mobile version