म्यांमार-बांग्लादेश से आए शरणार्थियों का लिया जाएगा बायोमेट्रिक रिकॉर्ड

आइजोल: मिजोरम में बांग्लादेश और म्यांमार से आए शरणार्थियों का बायोमेट्रिक और जनसांख्यिकीय विवरण जल्द ही दर्ज किया जाएगा। अधिकारियों ने बताया कि इस प्रक्रिया के लिए पूरे राज्य में अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है और यह कार्य जुलाई के अंत से शुरू होने की उम्मीद है। शरणार्थियों की पहचान और जानकारी दर्ज करने के लिए फॉरेनर्स आइडेंटिफिकेशन पोर्टल का उपयोग किया जाएगा। हालांकि, जिन ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट की सुविधा कमजोर है, वहां पर ऑफलाइन तरीके से डेटा दर्ज किया जाएगा।
लुंगलेई जिले में अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण सत्र आयोजित किया गया जिसमें म्यांमार और बांग्लादेश से आए शरणार्थियों की पहचान और बायोमेट्रिक रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया सिखाई गई। इस प्रशिक्षण का आयोजन लुंगलेई जिला स्तरीय समिति ने किया। लुंगलेई के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के. बेम्हमोताओसा ने जानकारी दी कि जिले में 10 बायोमेट्रिक रजिस्ट्रेशन टीमें बनाई गई हैं और आवश्यक उपकरण गृह विभाग से मंगाए गए हैं।प्रक्रिया की शुरुआत रामथार शरणार्थी शिविर से की जाएगी और धीरे-धीरे इसे जिले के अन्य आठ शिविरों में फैलाया जाएगा।
बता दें कि राज्य के 11 जिलों में करीब 32,000 म्यांमार नागरिक शरण लिए हुए हैं। ये अधिकतर चिन राज्य से आए हैं और फरवरी 2021 में म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के बाद यहां पहुंचे। वहीं 2022 में चिटगांव हिल ट्रैक्ट्स में सैन्य कार्रवाई के बाद 2,371 बांग्लादेशी (मुख्य रूप से बवम जनजाति के लोग) मिजोरम आए। इसके साथ ही मणिपुर में जातीय हिंसा के चलते 7,000 से अधिक जो जातीय समुदाय के लोग मिजोरम में शरण लिए हुए हैं।
गौरतलब है कि म्यांमार के चिन समुदाय, बांग्लादेश के बवम जनजाति और मणिपुर के जो समुदाय के लोग मिजो जनजातियों से घनिष्ठ जातीय संबंध रखते हैं, जिस कारण मिजोरम में उन्हें अपनापन मिला है। ऐसे में यह पहल राज्य में रह रहे शरणार्थियों की पहचान और उनके अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।

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