इंफाल: मणिपुर में रविवार को उस समय तनाव बढ़ गया जब प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों के बीच झड़प हो गई। यह झड़प उस वक्त हुई जब प्रदर्शनकारी राज्य परिवहन की एक बस से ‘मणिपुर’ शब्द हटाए जाने के विरोध में राजभवन की घेराबंदी करने जा रहे थे।
कोऑर्डिनेटिंग कमेटी ऑन मणिपुर इंटेग्रिटी (सीओसीओएमआई) के आह्वान पर बड़ी संख्या में लोग ख्वैराम्बंद बाजार में एकत्र हुए और वहां से लगभग 500 मीटर की रैली निकाल कर राजभवन की ओर बढ़ने लगे। सुरक्षाबलों ने उन्हें रोकने की कोशिश की। इस दौरान दोनों पक्षों में झड़प हो गई। प्रदर्शनकारियों की मांग थी कि राज्यपाल अजय कुमार भल्ला इस “अपमानजनक कृत्य” के लिए माफी मांगें।
राजभवन से लगभग 150 मीटर पहले कंगला गेट पर सुरक्षाबलों ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के कई गोले छोड़े। एक अस्पताल अधिकारी ने बताया कि इस झड़प में घायल हुए पांच प्रदर्शनकारियों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
एक प्रदर्शनकारी ने कहा, राज्यपाल लोगों की भावनाओं की लगातार अनदेखी कर रहे हैं। उन्होंने और उनके प्रशासन ने मणिपुर की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत का अपमान किया है। जांच आयोग बनाना पर्याप्त नहीं है, जब तक दोषियों को दंडित नहीं किया जाता। यह विरोध उस घटना के बाद सामने आया है, जिसमें 20 मई को शिरुई लिली महोत्सव के दौरान मीडिया को लेकर जा रही मणिपुर राज्य परिवहन की एक बस से ‘मणिपुर’ शब्द को ढंकने का आदेश दिए जाने की बात सामने आई थी।सीओसीओएमआई ने इस मुद्दे पर राज्यव्यापी आंदोलन का एलान किया है और मुख्य सचिव, डीजीपी और सुरक्षा सलाहकार के इस्तीफे की मांग की है। मणिपुर सरकार ने बुधवार को इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं। गृह विभाग द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि दो सदस्यीय जांच समिति बनाई गई है, जो 20 मई को ग्वालटाबी चेकपोस्ट के पास मीडिया कर्मियों को लेकर जा रही मणिपुर राज्य परिवहन बस और सुरक्षा बलों की भूमिका की जांच करेगी।
आरोप है कि सुरक्षा बलों ने पत्रकारों को ले जा रही बस को रोककर, उस पर लिखे ‘मणिपुर’ शब्द को सफेद कागज से ढंकने के लिए सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय के कर्मचारियों को मजबूर किया था।
राजभवन के पास प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों के बीच झड़प, बस से ‘मणिपुर’ शब्द हटाने को लेकर विवाद
