इंफाल: केंद्र ने 13 फरवरी को मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू किया था। राज्य में मई 2023 से मैतेई और कुकी-जो समूहों के बीच जातीय हिंसा में 250 से अधिक लोग मारे गए और हजारों लोग बेघर हो गए। 9 फरवरी को मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के इस्तीफा देने के बाद राष्ट्रपति शासन लगाया गया था। राज्य विधानसभा का कार्यकाल 2027 तक है। इसे पहले ही निलंबित कर दिया गया था।
लंबे समय से हिंसा का दंश झेल रहे मणिपुर में इन दिनों सरकार गठन की कवायद तेज है। राज्य में सरकार बनाने के क्रम में में इंफाल में विधायक ठा. बिस्वजीत सिंह के आवास पर 25 भाजपा विधायकों की बैठक चल रही है। इससे दो दिन पहले, भाजपा नीत एनडीए के 10 विधायक सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए इंफाल में राजभवन पहुंचे थे। उन्होंने राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से मुलाकात कर 44 विधायकों के समर्थन का दावा किया था।
गौरतलब है कि मणिपुर में विधायकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए बुधवार को राजभवन में राज्यपाल से मुलाकात की थी। प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल को समर्थन का औपचारिक पत्र सौंपा और मौजूदा राजनीतिक अनिश्चितता के बीच एक स्थिर शासन विकल्प प्रदान करने की अपनी तत्परता दोहराई थी। इस मुलाकात के बाद विधायक राधेश्याम ने कहा था, ‘हमारे पास 44 विधायकों का समर्थन है और सभी भाजपा विधायक जनता की इच्छा का प्रतिनिधित्व करने वाली सरकार बनाने के लिए तैयार हैं। उन्होंने राज्यपाल से बहुमत पर विचार करने और त्वरित कार्रवाई करने की भी अपील की थी।
इससे पहले 21 विधायकों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर पूर्वोत्तर राज्य में शांति और सामान्य स्थिति सुनिश्चित करने के लिए ‘लोकप्रिय सरकार’ बनाने का आग्रह किया गया था। पत्र पर भाजपा के 13, एनपीपी-नगा पीपुल्स फ्रं 3, एनपीपी-नगा पीपुल्स फ्रंट के तीन-तीन और विधानसभा के दो स्वतंत्र सदस्यों के हस्ताक्षर थे।
सरकार बनाने के लिए मणिपुर में कवायद तेज; इंफाल में भाजपा विधायक के आवास पर जुटे 15 एमएलए
