नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को जेएसडब्ल्यू स्टील की उस योजना को रद्द कर दिया, जिसमें उसने भूषण स्टील एंड पावर लिमिटेड (बीएसपीएल) का अधिग्रहण करने की कोशिश की थी। कोर्ट ने कहा कि यह योजना दिवालिया कानून (आईबीसी) के खिलाफ है और गैरकानूनी है। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि इससे कर्ज देने वाले बैंकों को नुकसान हो सकता था।
जस्टिस बेला एम.त्रिवेदी और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने आदेश दिया कि दिवालिया कानून के तहत बीएसपीएल का परिसमापन (लिक्विडेट) करा दिया जाए। यहां परिसमापन का मतलब कंपनी की सारी संपत्तियों को बेचकर उससे मिलने वाले पैसे से कर्ज चुकाना और फिर कंपनी को बंद कर देने से है।
शीर्ष कोर्ट ने इस मामले से जुड़े सभी जिम्मेदार पक्षों के व्यवहार की कड़ी आलोचना की। इनमें समाधान विशेषज्ञ, कर्जदाताओं की समिति (सीओसी) और राष्ट्रीय कंपनी कानून अधिकरण (एनसीएलटी) शामिल हैं। कोर्ट ने कहा कि इन लोगों ने मिलकर दिवालिया कानून का साफ तौर पर उल्लंघन किया।
जस्टिस बेला त्रिवेदी ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि समाधान विशेषज्ञ ने कॉर्पोरेट दिवालियापन से जुड़ी प्रक्रिया के दौरान अपनी वैधानिक जिम्मेदारियां नहीं निभाई, जैसा कि दिवालियापन कानून और उससे जुड़ी नियमावली में तय है। कोर्ट ने आगे कहा कि कर्जदाताओं की समिति (सीओसी) ने जेएसडब्ल्यू की समाधान योजना को बिना सोचे-समझे मंजूर किया। यह योजना जरूरी आईबीसी नियमों का उल्लंघन करती है और कर्जदाताओं के हितों की रक्षा नहीं करती है। इसके अलावा, सीओसी ने योजना में खामियां होने के बावजूद जेएसडब्ल्यू से भुगतान को स्वीकार किया, जो गलत था।
सुप्रीम कोर्ट ने 5 सितंबर 2019 और 17 फरवरी 2022 के एनसीएलटी के आदेशों को गलत और न्याय क्षेत्र से बाहर माना, इसलिए उन्हें रद्द कर दिया। सीओसी की ओर से जेएसडब्ल्यू की समाधान योजना को दी गई मंजूरी को सुप्रीम कोर्ट कोर्ट ने आईबीसी के नियमों के अनुरूप न होने के कारण खारिज कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने भूषण स्टील एंड पावर को दिवालिया घोषित किया, JSW स्टील की अधिग्रहण योजना खारिज
