बीजापुर: सुरक्षा बलों ने बुधवार को एक बड़ी सफलता की घोषणा की। सुरक्षाबलों ने कहा कि उन्होंने छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर कार्रेगुट्टा हिल्स (केजीएच) में माओवादियों की “अजेयता” को ध्वस्त कर दिया है। 21 अप्रैल से 11 मई तक चले 21 दिन के ऑपरेशन ‘ब्लैक फॉरेस्ट’ में 31 माओवादी मारे गए हैं। जिनमें 16 महिलाएं शामिल थीं।
इस अभियान में 450 आईईडी, दो टन विस्फोटक, कई राइफलें और गोला-बारूद जब्त किए गए, जबकि 18 सुरक्षाकर्मी घायल हुए। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के महानिदेशक ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह और छत्तीसगढ़ पुलिस के डीजीपी ए डी गौतम ने बीजापुर में संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस की।
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने बताया कि अब तक का सबसे बड़ा अभियान था। बीजापुर, देश के छह सबसे अधिक नक्सल प्रभावित जिलों में से एक है। आगे कहा कि ऑपरेशन ने “लक्ष्य से अधिक हासिल किया” और मार्च 2026 तक नक्सलियों को खत्म करने की केंद्र सरकार की समय सीमा पूरी होगी।छत्तीसगढ़ पुलिस के एडीजी (ऑपरेशन) विवेकानंद सिन्हा ने कहा कि माओवादी नेतृत्व विघटित हो गया है। उनकी सैन्य संरचना, विशेष रूप से पीएलजीए इकाई, कमजोर पड़ गई है। केजीएच में छिपे शीर्ष कमांडर या तो मारे गए या घायल हैं।
अधिकारियों ने बताया कि केजीएच माओवादियों का प्रमुख ठिकाना था। जहां 250 से अधिक गुफाओं में हथियार और गोला-बारूद छिपाए गए थे। इसका उपयोग प्रशिक्षण, चिकित्सा सुविधा और मीटिंग बेस के लिए भी होता था। सीआरपीएफ प्रमुख ने कहा कि केजीएच लंबे समय से “नो-गो एरिया” था, जहां माओवादियों ने बीयर की बोतलों में भरे आईईडी जैसे खतरनाक हथियारों का इस्तेमाल किए। अनुमान है कि 350 से अधिक सशस्त्र माओवादी पिछले 2.5 वर्षों से वहां शरण लिए हुए थे।
1.72 करोड़ के टॉप इनामी नक्सली मारे गए, 16 महिलाएं शामिल, सुरक्षाबलों का बड़ा दावा
