नई दिल्ली। इस बार देश में मई महीने में ही मानसून की दस्तक हो गई है। देश के दक्षिणी हिस्सों में लगातार भारी बारिश हो रही है। 2025 के मई महीने में भारत के कई राज्यों में हुई बारिश ने कई दशक के रिकॉर्ड धवस्त कर दिए हैं। साथ ही मई में गर्मी का अहसास कम रहा है। अब मौसम विभाग ने मानसून के पूरे सीजन को लेकर भविष्यवाणी की है। आईएमडी ने कहा है कि देश में जून-सितंबर में मानसून की स्थिति बेहतर रहेगी।
मौसम विभाग के मुताबिक, लंबी अवधि के औसत में देश में 106 फीसदी तक बारिश होने की संभावना है। इससे भीषण गर्मी के सीजन में भी अधिकतम तापमान में गिरावट देखी जाएगी। गौरतलब है कि अप्रैल को जारी पूर्वानुमान में आईएमडी ने कहा था कि लंबी अवधि के औसत में 105 फीसदी तक बारिश का अनुमान है।
आईएमडी के इन आंकड़ों के सामने आने के बाद सीधे शब्दों में इनका अर्थ समझना जरूरी है। आखिर सामान्य से ज्यादा बारिश के मायने क्या हैं? किस क्षेत्र में कितनी अधिक बारिश होने की संभावना है? इसके अलावा किसानों-आम लोगों के लिए यह कैसा साबित होने वाला है? आइये जानते हैं…
इसे ऐसे समझ सकते हैं। आमतौर पर भारत में मानसून सीजन में 87 सेंटीमीटर बारिश सामान्य मानी जाती है। ऐसे में सामान्य से ज्यादा बारिश तब मानी जाएगी, जब यह 90.5 से 95.7 सेंटीमीटर तक हो। दीर्घकालिक औसत पिछले लगभग 50 वर्षों की औसत वर्षा होती है। भारत के लिए यह लगभग 87 सेमी मानी जाती है। अगर बारिश औसत से ज्यादा होती है और समान रूप पूरे देश में फैली हो तो यह फायदेमंद मानी जाती है।
वर्षा: देश के अधिकांश भागों में सामान्य से अधिक वर्षा (>108%) की संभावना है। हालांकि, दक्षिणी प्रायद्वीपीय भारत, उत्तर पश्चिम भारत और पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्सों में सामान्य से कम वर्षा की संभावना है। अधिकतम तापमान: अधिकांश क्षेत्रों में सामान्य या सामान्य से कम रहने की संभावना है। लेकिन उत्तर-पश्चिम और पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्सों में सामान्य से अधिक तापमान हो सकता है। न्यूनतम तापमान: सामान्य से अधिक रहने की संभावना है, सिवाय मध्य भारत और दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत के कुछ क्षेत्रों के, जहां न्यूनतम तापमान सामान्य या सामान्य से कम रह सकता है।
इस बार देश में सामान्य से ज्यादा बारिश की संभावना
