वायुसेना प्रमुख बोले-आत्निर्भरता का मतलब अलग-थलग होना नहीं, बल्कि अपनी आंतरिक क्षमताओं को बढ़ाना

नई दिल्ली: भारत शक्ति डिफेंस कॉन्क्लेव में संबोधन के दौरान वायुसेना प्रमुख ने कहा कि आज देश कई आधुनिक खतरों को देख रहे हैं और यह पारंपरिक सैन्य या आर्थिक जोखिम से अलग हैं। उन्होंने कहा कि यह खतरे अधिकतर जटिल, अंतरदेशीय और बहुआयामी होते हैं। वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने गुरुवार को कहा कि आत्मनिर्भर होने का मतलब अलग-थलग होने से नहीं जुड़ा है। बल्किन यह बाहरी चुनौतियों का सामना करने के लिए खुद की आतंरिक क्षमताओं को मजबूत करने के लिए है। चौधरी ने कहा कि भारत को रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए अलग-अलग क्षेत्रों में समग्र दृष्टिकोण अपनाना होगा।
भारत शक्ति डिफेंस कॉन्क्लेव में संबोधन के दौरान वायुसेना प्रमुख ने कहा कि आज देश कई आधुनिक खतरों को देख रहे हैं और यह पारंपरिक सैन्य या आर्थिक जोखिम से अलग हैं। उन्होंने कहा कि यह खतरे अधिकतर जटिल, अंतरदेशीय और बहुआयामी होते हैं। इसी के साथ हाइब्रिड युद्ध प्रणाली का भी उदय हो रहा है, जिससे पारंपरिक सैन्य आक्रामकता को मिलाकर साइबर हमले, गलत जानकारियां और आर्थिक दबाव बनाए जा रहे हैं।
एयर चीफ मार्शल ने कहा कि भारत के लिए इन चुनौतियों को सामना करने का सबसे ताकतवर और प्रभावी तरीका सहयोग का है। उन्होंने कहा, “उद्योग, एकेडमिया, मित्र देश और उभरते हुए बाजारों से सहयोग बढ़ाना ही इन मुश्किल समय में आगे जाने में काम आएगा। जैसे भारत इन चुनौतियों का सामना करता जाएगा अहम आधारभूत ढांचे, तकनीक, रक्षा क्षमताओं के लिए बाहरी स्रोतों पर निर्भरता कमजोरियां पैदा कर सकती हैं।” उन्होंने कहा, “मेरे हिसाब से आत्मनिर्भरता में एक मजबूत घरेलू उद्योग खड़ा करना, उन्नयन में निवेश करना, अहम इन्फ्रास्ट्रक्चर को सुरक्षित करना और बाहरी प्रभावों से पैदा हो सकने वाली कमजोरियों को दूर करना अहम है।”
एयर चीफ मार्शल चौधरी ने सिप्री की हालिया रिपोर्ट का भी जिक्र किया। इसके मुताबिक भारत 2019-2023 के बीच दुनिया में हथियारों का सबसे बड़ा आयातक था। इसमें 2014-2018 की पिछली अवधि की तुलना में आयात में 4.7 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई। उन्होंने कहा, ‘‘भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है, जिसमें तकनीकी नवाचार, संरचनात्मक सुधार और रणनीतिक योजना का संयोजन हो।’’
उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन में इस बात पर चर्चा की जाएगी कि भारत आज की अनिश्चितताओं से भरी दुनिया में किस तरह स्थिरता लाने वाली ताकत बन सकता है। वायुसेना प्रमुख ने कहा, ‘‘वीयूसीए दुनिया एक नए प्रतिमान का प्रतिनिधित्व करती है, अस्थिरता, अनिश्चितता, जटिलता और अस्पष्टता हर स्तर पर निर्णय लेने को आकार देगी। चाहे वह भूराजनीतिक हो, आधुनिक युद्ध हो या व्यवसायिक, ‘वीयूसीए’ दुनिया में सफलता के लिए दक्षता, लचीलापन, सहयोग और अनिश्चितताओं को स्वीकार करने की तत्परता की आवश्यकता होगी।’’ वायुसेना प्रमुख ने कुछ ऐसी जरूरतों का भी जिक्र किया जो कि मजबूत रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र के लिए आवश्यक हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमें घरेलू अनुसंधान और विकास को मजबूत करना चाहिए, विशेषज्ञता में कमी को पूरा करने के लिए नवाचार को बढ़ाने के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी को प्रोत्साहित करना चाहिए।’’

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