नई दिल्ली/न्यूयार्क। अमेरिका के प्रतिष्ठित हार्वर्ड विश्वविद्यालय के शीर्ष प्रोफेसरों ने प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में परंपरा एवं प्रौद्योगिकी से लेकर वाणिज्य और आध्यात्मिकता के मेल पर रौशनी डाला। उन्होंने दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक समागम से सबक लेने और इसके अवसरों पर जोर दिया। न्यूयार्क में भारत के वाणिज्य दूतावास ने एक विशेष चर्चा का आयोजन किया, जिसका शीर्षक था, ‘इनसाइट्स फ्रॉम द वर्ल्ड्स लार्जेस्ट स्पि्रचुअल गैदरिंग-महाकुंभ।’ आयोजन में प्रोफेसर तरुण खन्ना, प्रोफेसर डायना ईक और सहायक प्रोफेसर टियोना जुजुल शामिल थीं।
प्रोफेसरों ने 2013 में कुंभ मेले में बिताए समय के दौरान किए गए शोध से अपने अनुभव साझा किए और इस वर्ष की तीर्थयात्रा के दौरान आध्यात्मिकता और इंजीनियरिंग से लेकर प्रशासन एवं परंपरा, प्रौद्योगिकी व अर्थशास्त्र के मेल तक विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला।
न्यूयार्क में भारत के महावाणिज्य दूत विनय प्रधान की मेजबानी में आयोजित इस विशेष कार्यक्रम को संबोधित करते हुए खन्ना ने कुंभ मेला में मानकों, स्वच्छता और प्रौद्योगिकी के पहलुओं को रेखांकित किया। खन्ना ने कहा, ‘मैं व्यक्तिगत रूप से एक शोधार्थी के रूप में परंपरा एवं प्रौद्योगिकी के इस मेल से मोहित हूं कि समाज कैसे विकसित हो रहा है। हम कुछ मूल्यों को अपने पास रखते हैं, यह एक परंपरा है जो हमारे साथ बनी रहती है लेकिन साथ में इसमें प्रौद्योगिकी की परतें जुड़ती जाती हैं।’
खन्ना ने कहा कि कुंभ मेला एक ऐसी मनमोहक जगह है, जहां प्रौद्योगिकी व धर्म का संगम दिखता है। उन्होंने यह भी बताया कि 2025 कुंभ को ‘स्वच्छ कुंभ’ कहा जा रहा है, जहां इतनी भीड़ के बावजूद ‘अविश्वसनीय रूप से सफाई’ पर ध्यान दिया गया। खन्ना ने इस साल महाकुंभ में ‘खोया-पाया’ सेवाओं के डिजिटलीकरण की भी सराहना की और इसे बेहद दिलचस्प बताया क्योंकि यह परंपरा और प्रौद्योगिकी के मेल के विचार का अच्छा उदाहरण है। ईक ने अपनी प्रस्तुति में कहा कि कुंभ मेला एक महान तीर्थयात्रा है।
उन्होंने कहा, ‘यह हमें कहीं ज्यादा चकित करता है। यह सिर्फ आश्चर्यजनक तथ्य है कि यह शहर इतने कम समय में बनाया गया और इंजीनिय¨रग टीम, बिजली सबस्टेशनों, एक शहरी वातावरण, स्वास्थ्य सेवाओं और छोटे व्यवसायों के निर्माण सहित ऐसी तमाम चीजों की पूरी श्रृंखला है जो पूरी तरह से इससे जुड़ी हुई हैं।’ ईक ने कुछ दिनों में कुशल बिल्डरों द्वारा कुंभ के लिए चार से पांच सामग्रियों के साथ बनाए गए अस्थायी टेंटों का जिक्र किया। उन्होंने कुंभ में तकनीकी नवाचार की भी सराहना की और इसे असाधारण बताया।
जुजुल ने 2013 में पहली बार कुंभ के लिए ईक की शोध टीम के तहत भारत की यात्रा की थी। उन्होंने कुंभ में व्यवसायों और आर्थिक अवसरों के विकास के साथ-साथ चुनौतियों एवं समाधानों का भी उल्लेख किया। जुजुल ने कहा कि वह 2037 में अगले कुंभ के लिए भारत यात्रा की उम्मीद कर रही हैं।
गौरतलब है कि महाकुंभ की शुरुआत इस वर्ष प्रयागराज में 13 जनवरी को हुई थी और बुधवार को महाशिवरात्रि पर इसका समापन हो गया। उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा है कि इस वर्ष महाकुंभ मेले में 60 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाई।
हार्वर्ड के प्रोफेसरों ने महाकुंभ को बताया परंपरा और प्रौद्योगिकी का संगम
